shweta soni

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मुॅंहबोली बहन ...

मैं परख नेहवाल अपने माता-पिता का एकलौता बेटा । उनकी जायदाद का इकलौता वारिस । मां - पापा अपने - अपने काम में व्यस्त रहते और मैं घर में ...। मेरी देखभाल के लिए मां ने नैन्सी को रखा है । जो मेरा ध्यान अच्छे से रखती । पर फिर भी मुझे कुछ खाली सा लगता । नैन्सी मुझे हर शाम को एक पास ही के गार्डन में ले जाती ।‌‌जहां मेरे जैसे बहुत सारे बच्चे खेलने आते थे । मुझे शोर शराबा ज्यादा पसंद नहीं था , इसलिए मैं गार्डन के एक खाली जगह पर बैठ कर सभी को देखा करता । 


ऐसे ही एक रोज मैं बैठकर खेलने वाले बच्चों को देख रहा था । तभी मेरी नजर मुझसे कुछ ही दूरी पर बैठी एक लड़की पर गई । मेरी हम उम्र ही थी ।‌‌ वो‌ भी एक जगह बैठी हुई थी लेकिन उसका चेहरा उदास और आंखें भरी हुई थी । मैं अपनी जगह से उठकर उसके पास गया और अपना एक हाथ बढ़ातें  ् कहा ! 
" हैलो , मेरा नाम परख हैं " तुम्हारा क्या नाम है ? 
मेरे इतना पूछना था कि , वो घबरा गई और उसकी आंखों से आंसू बहने लगे थे। 
उस समय मेरी छोटे से दिमाग में , कुछ समझ नहीं आया । और अगर बड़ा भी रहता तो शायद ही बिना बताए समझ पाता  । 

उसने डरकर मेरी तरफ देखा और वहां से जाने लगी । मैं उसके पीछे-पीछे जाते हुए कहने लगा । क्या तुम मेरी बहन बनोगी ! मेरे सवाल से एक बार उसने पलटकर मुझे देखा । शायद उसे मेरी बात झूठी लगी थी । फिर वो बिना कुछ कहे वहां से चली गई । 

मुझे उसके इस तरह के व्यवहार से थोड़ा गुस्सा आया । लेकिन उसकी आंखें देखकर उसके लिए बुरा लग रहा था ।‌‌अगर मेरी कोई बहन होती तो , इसी की तरह होती ।‌‌यही सोचता हुआ मैं भी घर आ गया ।‌‌मेरा मन उसी भूरी आंखों वाली लड़की के बारे में सोच रहा था।‌‌‌‌‌पता नहीं  वो क्यों रो रही थी ! 



दूसरे दिन मैं समय‌ से पहले ही गार्डन में पहुंच गया और उसी भूरी आंखों वाली लड़की का इंतजार करने लगा । आखिर बहन माना हैं उसे उसकी परेशानी दूर करना मेरा फ़र्ज़ था ।‌‌ " पापा भी तो यही कहते हैं , बुआ को जब वो घर आती है " मैं भी एक अच्छा भाई बनकर दिखाऊंगा । यही सोचते हुए गार्डन की गेट की ओर मेरी आंखे मेरी मुंहबोली बहन का इंतजार कर रही थी । 

उसे आते हुए देखकर मेरी आंखों में एक चमक सी आ गई । उसने मेरी ओर एक नज़र देखा और कल वाली जगह पर बैठ गई । मैं फिर उसके पास गया और उसके उदास चेहरे को देख कर पूछने लगा । 

मैं - तुम हर समय ऐसी ही रहती हो क्या ? ऐसे उदास सी ।‌‌
किसी ने कुछ कहा है क्या तुम्हें , अगर अपनी परेशानी तुम किसी को बताओगी नहीं तो उस समस्या से छुटकारा कैसे मिलेगा ।‌

मेरी बातें शायद उसकी समझ में आने लगी थी उसने कुछ देर मुझे देखते हुए बताया ।‌ 
" मेरा नाम अनाया है । मैं गार्डन के पास ही के घर में रहती हूं । मेरी मां और मैं और हमारे घर का नौकर राजू भैया । 

मां जब भी काम पर जाती हैं । राजू भैया मुझे गलत तरीके से छूते हैं ।  जो मुझे अच्छा नहीं लगता । मैंने एक दो बार ये बात मां को बताने की कोशिश की लेकिन मां भी मेरी बात नहीं सुनती । मैं स्कूल से आने के बाद यहां आ जाती हूं । मुझे वहां राजु भैया के साथ रहने में डर लगता है । 
अनाया की बातें सुनकर मुझे तो उस कुछ समझ में नहीं आया । लेकिन कुछ तो करना था । अनाया की मां उसकी बातें सुन नहीं रही थी । बचे मेरे मां - पापा , अब रात होने की प्रतीक्षा करनी थी ।
मैं , अनाया को सब ठीक हो जाएगा ।‌‌‌‌कह तो दिया लेकिन कैसे वो समझ नहीं आ रहा था।इसके लिए मां - पापा से बात करना बहुत जरूरी था । 

रात को जब मैं खाने की टेबल पर था । तो मां - पापा को अनाया के बारे में बताने लगा । 
मैं - पापा ! मैं आपका कौन हूं ? 
मेरे इस अजीब से सवाल सुन कर एक बार उन्होंने मेरी तरफ देखा । फिर कहा ! 
पापा - आप मेरे बेटे हैं । क्या आप भूल गए या मुझे याद दिला रहें हैं ! 
मैं - पापा , अगर मैं आपका बेटा हूं तो , मेरी बहन आपकी क्या हुई  ? 
इस बार पापा मेरी तरफ देख रहें थे । 

क्या बात है परख , आप पूरी बात साफ - साफ कहिए । 
मेरी बात सुनकर तब तक मां भी मेरी ओर देख रही थी ।‌

मैं - पापा  बात यह है कि .... मैंने शूरू से लेकर अब तक की सारी बातें मां ‌‌-पापा को कह दी और मेरी मुंहबोली बहन की मदद करने को भी कहा । 

मां और पापा मेरी बातें सुनकर परेशान हो गए । दोनों ने एक-दूसरे को देखा और मुझसे कहा ! 

हम अनाया की मदद जरूर करेंगे ।‌‌‌‌। हमें सबसे पहले अनाया की मां से बात करनी पड़ेगी । कल हम मिलकर उनसे बात करेंगे । 
अगले दिन मां - पापा अनाया के घर में उनसे मिलने गये ‌ । उस समय राजू घर पर मौजूद नहीं था । मां और पापा ने अनाया को अपने सामने बिठाकर अनाया की मां को सब कुछ बताया और इस वक्त अनाया जिस मानसिक तनाव से गुजर रही है । उससे भी अवगत कराया ।
अनाया की मां ने अनाया को गले से लगा लिया और उससे माफ़ी मांगने लगी ।‌‌ 


 उसके बाद पापा ने राजू को रंगे हाथो पकड़ने के लिए एक योजना बनाई । अगले दिन सोमवार था यानि अपने काम पर जाने का दिन , पापा , मां और अनाया की मां सबने योजना के अनुसार सब अपने काम पर जाने लगे । 
अनाया की मां राजू को कहने लगी ! 
" राजू , आज अनाया की तबीयत ठीक नहीं है । तो उसकी देखभाल करना मैं जल्दी आने की कोशिश करूंगी । कहकर अनाया की मां एक नज़र अनाया को देखकर आंखों से आस्वस्त किया और घर से बाहर निकल गई । 

घर में बचे थे तो सिर्फ राजू और अनाया । 

पापा ने अनाया को अच्छे से समझा दिया था कि , घबराना नहीं हम तुम्हारे आस पास ही रहेंगे । तो बिल्कुल घबराना नहीं ! 

राजू को इसी की तलाश थी ।‌‌वो अनाया के कमरें में गया और उससे बद्तमीजी करने लगा । कुछ ही देर हुई होगी और अनाया की चीखने की आवाज़ आई । उसकी आवाज़ सुनकर दो पुलिसकर्मी घर में दाखिल हुए और राजू को रंगे हाथों पकड़ लिया । 

 वहीं पर उसकी अच्छी खातिरदारी की गई और उसे जेल भेज दिया गया । 

इस घटना को हुए काफी समय हो गया । लेकिन अब भी कभी - कभी ये घटना आंखों के सामने आ ही जाती है । लेकिन ये सब बातें

आज अनाया की शादी हैं और मैं उसका मुंहबोला भाई अपनी मुंहबोली बहन की शादी की तैयारियों में व्यस्त हूं ।‌‌ 

समाप्त



 
 

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18 Comments

Naresh Sharma "Pachauri"

30-Jul-2022 05:25 PM

Very nice

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Milind salve

30-Jul-2022 02:54 PM

बहुत खूब

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Khan

29-Jul-2022 11:14 PM

Nice

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